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प्रेम या मोह: राधा-कृष्ण से सच्चे प्रेम की पहचान कैसे करें?

प्रेम और मोह में अंतर बताने वाला यह लेख श्री राधा-कृष्ण के निस्वार्थ और त्यागपूर्ण प्रेम को उदाहरण देता है। कलयुग के प्रेम में स्वार्थ, धोखा और बेवफाई का प्रचलन है। सच्चे प्रेम की पहचान के लिए निःस्वार्थता, त्याग, समर्पण, विश्वास और सम्मान की भावना महत्वपूर्ण है। सच्चा प्रेम कब और कैसा होता है।

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प्रेम और मोह, अपने आप में दो ऐसे शब्द है, जो अक्सर एक दूसरे के लिए इस्तेमाल होते हैं, परन्तु दोनों में बहुत बड़ा भेद है। प्रेम जो निस्वार्थ होता है, जो बिना किसी अपेक्षा के किया जाता है। वहीं, मोह जिसमें स्वार्थ छिपा होता है, जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे व्यक्ति का उपयोग करता है।

अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री प्रियदर्शी जी महाराज द्वारा रचित, अभूतपूर्व ग्रंथ ‘श्रीकृष्ण चरित मानस’ (रसायन महाकाव्य) में श्री राधा-कृष्ण के प्रेम का यथार्थ उदाहरण देखने मिलता है। भगवान श्री राधा-कृष्ण ने बिना किसी शर्त के एक दूसरे से प्रेम किया था। उन्होंने राधा की सुंदरता, उनकी सादगी और उनके निश्छल प्रेम को देखकर उनसे प्रेम किया था। उसी क्रम में राधा ने भी कृष्ण से प्रेम किया, उन्होंने कृष्ण की बुद्धिमत्ता, उनकी वीरता और उनके प्रेम रस को देखकर उनसे प्रेम किया था। हमें राधा-कृष्ण के प्रेम में कोई स्वार्थ नहीं नजर आता। उन्होंने एक दूसरे को बिना किसी अपेक्षा के प्रेम किया, एक दूसरे के सुख-दुख में साथ दिया, एक दूसरे के लिए सब कुछ त्याग दिया।

लेकिन कलयुग के प्रेम में, हमें मोह का अधिक प्रचलन देखने मिलता है। लोग एक दूसरे से प्रेम नहीं, बल्कि अपनी जरूरतें पूरी करने का एक माध्यम समझते है। ऐसे प्रेम में, स्वार्थ, धोखा और बेवफाई राज करती है। वह प्रेम, प्रेम नहीं होता। सच्चे प्रेम की पहचान करने के लिए, हमें राधा-कृष्ण के प्रेम से प्रेरणा लेनी चाहिए। अपने प्रेम में निःस्वार्थता, त्याग और समर्पण को महत्व देना चाहिए। साथी को बिना किसी शर्त के प्रेम करना चाहिए। श्री राधा-कृष्ण की भांति हमें भी सच्चे प्रेम की पहचान करने के लिए कुछ भाव मदद करते है :-

निःस्वार्थता
प्रेम निस्वार्थ भाव का प्रतीक है। जिसमें व्यक्ति अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के बजाय, दूसरे व्यक्ति की खुशी के बारे में सोचता है।
त्याग
एक सच्चा प्रेम त्याग मांगता है। जिसमें व्यक्ति अपने साथी के लिए कुछ भी त्याग करने को तैयार होता है।
समर्पण
प्रेम एक प्रकार का समर्पण है। जिसमें व्यक्ति अपने साथी के प्रति पूरी तरह से समर्पित होता है।
विश्वास
सच्चा प्रेम विश्वास पर आधारित होता है। जिसमें व्यक्ति अपने साथी पर पूरी तरह से विश्वास करता है।
सम्मान
प्रेम में सम्मान की भावना होती है। जिसमें व्यक्ति अपने साथी का सम्मान करता है।
यदि आपके प्रेम में ये सभी गुण हैं, तो आप निश्चिन्त हो सकते हैं कि आपका प्रेम श्री राधा-कृष्ण की भांति पवित्र है।

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