Blog

वक़्फ़ बिल संसद में पेश होने से पहले मुंबई में उलेमा और इमामों की आपात बैठक

नायडू, नीतीश कुमार समेत अन्य सेक्युलर पार्टियां बिल के खिलाफ खड़ी हों, वरना मुस्लिम सबक सिखाएंगे – अलहाज मोहम्मद सईद नूरी

शाहिद शौकत

वक़्फ़ बिल जहां संविधान के खिलाफ है, वहीं यह मुसलमानों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने की साजिश है – मौलाना एजाज़ अहमद कश्मीरी

वक़्फ़ बिल 2024 को लेकर देश में जिस तरह की उथल-पुथल मची हुई है, वह बेहद चिंताजनक है, खासतौर पर भारत के मुसलमानों के लिए। यह एक “करो या मरो” की स्थिति है, क्योंकि इस बिल के जरिए मुस्लिम संपत्तियों को जानबूझकर लूटने की कोशिश की जा रही है।

वक़्फ़ बिल पर जिस तरह से कमेटी बनाई गई और जनमत प्राप्त करने के बाद भी मोदी सरकार ने एकतरफा फैसला लेते हुए आज, 2 अप्रैल 2025 को इस बिल को संसद में पास कराने के लिए पेश किया, यह सीधा-सीधा देश के संविधान को पैरों तले रौंदते हुए वक़्फ़ की जमीनों पर जबरन कब्जा करने की कोशिश है।

इसी सिलसिले में आज मुंबई के हांडी वाली मस्जिद में रज़ा अकादमी ने तत्काल प्रभाव से उलेमा, इमाम और मदरसा शिक्षकों की आपात बैठक बुलाई और इस बिल के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

बैठक को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख अलहाज मोहम्मद सईद नूरी साहब ने कहा कि वक़्फ़ बिल 2024 सीधे तौर पर मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

उन्होंने आगे कहा कि यह बिल न केवल संविधान विरोधी है, बल्कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है। लेकिन अन्य धर्मों के लोगों को भी यह याद रखना चाहिए कि आज यह हमला मुस्लिम वक़्फ़ संपत्तियों पर हो रहा है, कल यह पारसी समुदाय, सिखों, बौद्धों और अन्य धार्मिक स्थलों तक भी पहुंचेगा। अगर इस कानून को रोका नहीं गया, तो कोई गुरुद्वारा, पारसी अग्नि मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल सुरक्षित नहीं रहेगा। इसलिए सभी धर्मों के लोगों को इस तानाशाही सरकार के खिलाफ एकजुट होना होगा।

सईद नूरी साहब ने सेक्युलर पार्टियों के नेताओं – चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, जयंत चौधरी, चिराग पासवान समेत एनडीए में शामिल अन्य नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अभी भी उनके पास समय है कि वे 2 अप्रैल को संसद में इस बिल के खिलाफ खुलकर विरोध करें। वरना, अल्पसंख्यकों का उन पर जो भरोसा था, वह खत्म हो जाएगा। अगर वे विरोध नहीं करते, तो इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने अपनी पार्टियों को मोदी के हाथों बेच दिया है, और उनकी राजनीतिक मृत्यु निकट है।

हांडी वाली मस्जिद के इमाम और युवा इस्लामी विद्वान मौलाना एजाज़ अहमद कश्मीरी ने कहा कि वक़्फ़ की जमीनें किसी के बाप की जागीर नहीं हैं, यह हमारे पूर्वजों की संपत्ति है और इसकी रक्षा करना हमारा धार्मिक कर्तव्य है। इसके लिए हम हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार एक तरफ तो ईद पर “मोदी के नाम की राशन किट” बांट रही है, और दूसरी तरफ मुसलमानों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने के लिए कानून बना रही है। इससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह नीतियां अपना रही है। जैसे अंग्रेजों ने भारत को लूटा, वैसे ही मोदी सरकार अब मुसलमानों की जमीनें लूटने पर आमादा है।

मौलाना मोहम्मद अब्बास रिज़वी ने भी सेक्युलर पार्टियों के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वे वास्तव में संविधान को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा होना होगा।

इस आपात बैठक में बड़ी संख्या में उलेमा, इमाम और इस्लामी विद्वान शामिल हुए, जिनमें मुफ्ती सुल्तान रज़ा, मौलाना ताहिर कादरी, मौलाना निज़ामुद्दीन, मौलाना एजाज़ अल-क़मर समेत सैकड़ों धार्मिक नेता मौजूद थे।

Shahid Khan

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button